कभी दुनिया मुक़म्मल बनके आएगी निगाहों में


कभी दुनिया मुक़म्मल बनके आएगी निगाहों में

कभी मेरी कमी दुनिया की हर इक शय में पाओगे.

कभी खामोश बैठोगे, कभी कुछ गुनगुनाओगे



मै उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे...